कौन रोता है किसकी दुनिया उदास है।
इसका ख़ुदा क्यों नही इसके पास है।
बड़ी मरुवत,बड़े बत्तर हालात हैं इसके।
इसका बचपन क्यों नही इसके पास है।
किससे मन्नत मांगू जो इसके हक में हो।
मैं आदमी ही हूँ, कुछ नही मेरा पास है।
जिंदगी अगर दे तो जीने सलीका दे मालिक।
मैं इसके लिए क्या करूँ जो मेरे हाथ है।
एक अगर ऐसा हो तो कुछ सोचा भी जाये।
तेरी दुनिया, तेरे दर पर तो लाखों उदास है।
रचना- लव तिवारी गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें