मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

झुरु झुरु पुरुवा झुलावेला झुलनवा- पचरा श्री गोपाल राय

झुरु झुरु पुरुवा झुलावेला झुलनवा
निमिया गछियां झुलनवा झूले ली मईया ना-२

लामी-लामी केसिया सोहरी छुये भूया झूलत बेरिया ना
माई के सोनोहुल केसिया झूलत बेरिया ना
झुरु झुरु पुरुवा.......

मन के हुलास माई मरली पटेंगनवा टूट गइले ना
अचके रेशम रसरिया की टूट गइले ना
झुरु झुरु पुरुवा…..........

गिरत गिरत ठाढ़ भइली माई संभरी की कोप गईनी ना
कइली लाल लाल अखियां की कॉपी गईनी ना
झुरु झुरु पुरुवा.............

हाथ जोड़ अरज जे कइलस पटहेरवा की मानी गईल ना
जय जय गुजल असमनावां की मान गइल ना
झुरु झुरु पुरुवा.............

झुरु झुरु पुरुवा झुलावेला झुलनवा
निमिया गछियां झुलनवा झूले ली मईया ना-२
गीत- श्री आनंद गहमरी जी
गायन- श्री गोपाल राय जी


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