*कजरी, हरियाली तीज*
अरे रामा! सावन महीना बा आइल,
आ पख बा अजोरिया ए हरि।
तिथि तृतीया क शुभ दिन बा आइल ,
मिल-जुली तिरिया मंगल बा गाइल,
हथवा में मेहंदी,पेड़वा पर झूला,
सावन का मस्ती सबका पर छाइल,
अरे रामा! धरती ओढ़े हरी चादर,
आनंद भरी गागर ए हरि ।
अरे रामा! सावन महीना बा आइल,
आ पख बा अजोरिया ए हरि।
मनवा क मोरवा बा घूम- घूम नाचत,
मेंहदी लगवला से सुख- समृद्धि आवत,
सुहाग अऊर ख़ुशी चारो ओर बिखरल बा,
नईकी कनियवा क जियरा बा गावत,
अरे रामा! बिटिया आवेली नइहर में,
बतावे पिया अनुभव ए हरि।
अरे रामा! सावन महीना बा आइल,
आ पख बा अजोरिया ए हरि।
घर-घर हरियाली तीज क धूम मचेला,
गऊंँआ नगरिया सबही सजेला,
हथवा क मेंहदी नियति से जोड़ें,
सुख- समृद्धि कभी मुँह नहीं मोड़े,
अरे रामा! माटी क भोले गऊरी बनाके,
कईल जाला पूजा ए हरी।
अरे रामा! सावन महीना बा आइल ,
आ पख बा अजोरिया ए हरी।
साधना शाही, वाराणसी
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