गुरुवार, 14 सितंबर 2023

दिल में मेरे जवान है मंजिल की आरज़ू आता नहीं है चलना बड़ी तेज़ धूप है - अहकम ग़ाज़ीपुरी

तपने लगा है सहरा बड़ी तेज़ धूप है
अब ढूंढो कोई साया बड़ी तेज़ धूप है

दिल में मेरे जवान है मंजिल की आरज़ू
आता नहीं है चलना बड़ी तेज़ धूप है

घबरा के पी ना जाए कहीं लालची नज़र
बादल का एक टुकड़ा बड़ी तेज़ धूप है

अहसास में है रात की ठंडक छुपी हुई
उभरेगा क्या अंधेरा बड़ी तेज़ धूप है

हमको बचा लो धूप से अब तो किसी तरह
जलता है जिस्म सारा बड़ी तेज़ धूप है

किसकी बुझाऊँ प्यास किसे सायेबान दूँ
हर आदमी है प्यासा बड़ी तेज़ धूप है

अहकम में हौसले की कमी तो नहीं मगर
साथी न कोई साया बड़ी तेज़ धूप है




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