गुरुवार, 14 सितंबर 2023

ग़ैर काम आए ना आए ग़ैर फिर ग़ैर है तुम तो अपने थे बताओ क्या किया मेरे लिए- अहकम ग़ाज़ीपुरी

कम नहीं है यह वफ़ाओं का सिला मेरे लिए
मांगते हैं आज तो वह भी दुआ मेरे लिए

उनकी आंखों की क़सम खाई थी बस इस जुर्म में
हो गया है बंद बाबे मयकदा मेरे लिए

दैरो काबा से अलग हूं सारे ग़म से बे नियाज़
कम नहीं जन्नत से मेरा मयकदा मेरे लिए

वक्त का मन्सूर हूं मैं वक्त का सुक़रात हूं
आपने क्या-क्या लक़ब फ़रमा दिया मेरे लिए

चारागर महरूम मत कर लज़्ज़ते ग़म से मुझे
बाइसे तस्की है दर्दे ला दवा मेरे लिए

ग़ैर काम आए ना आए ग़ैर फिर ग़ैर है
तुम तो अपने थे बताओ क्या किया मेरे लिए

जो अज़ल ही से है अपनी शक्ल से नाआशना
लेके वह आए हैं अहकम आईना मेरे लिए



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें