मेरी वफा मेरी हसरत सलाम करती है
चले भी आओ मोहब्बत सलाम करती है
लुटाओ शौक से तुम राहे हक में आए लोगों
लुटाने वालों को बरकत सलाम करती है
जिस आईने में नजर आऐं दीन के ग़ाज़ी
उस आईने को शुजाअत सलाम करती है
अब आदमी को सलाम आदमी नहीं करता
अब आदमी को ज़रूरत सलाम करती है
दुआ की करते हैं उम्मीद उन फ़क़ीरों से
कि जिन फ़क़ीरों को गुरबत सलाम करती है
वो और होंगे जो मोहताज हैं तआरुफ के
हमें जमाने की शुहरत सलाम करती है
जरूर आप में कुछ खूबियां हैं ऐ अहकम
जो क़ौम आपको हज़रत सलाम करती है
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