मंगलवार, 5 सितंबर 2023

सब प्रभु पर छोड़ देना- साधना शाही वाराणसी

 सब प्रभु पर छोड़ देना


वक्त के साथ बदल जाए कोई,

 तो दिल ना दुखाना तुम।

दिल को तोड़ दे कोई,

 फिर भी आंसू ना बहाना तुम।


परिवर्तनशील प्रकृति है,

ऐसे ही कुछ अपने हमारे हैं।

वक्त जब प्रतिकूल है होता,

 वो रिश्ते तोड़ डारे हैं।


जीवन थम जाए बिल्कुल ही,

 राह समझ में ना आए।

परमात्मा को सौंप देना सब,

 जहाॅं चाहें वो ले जाएं।


निरंतर कर्म करते जाओ,

 कभी माॅंगो ना कुछ विधाता से।

तुम्हारी चाह से बढ़कर,

मिलेगा अन्नदाता से।


परमात्मा प्रसन्न यदि होंगे,

विपदाएं साथ ना होंगी।

भटक जाएंगी राहों में,

कभी वो नात ना होंगी।


दर-दर ना भटकना तुम सदा,

 सदा बस इश को भजना।

गगन में यश छा जाएगा,

 ना विस्मित जगदीश को करना।


मात्र एक अन्न का दाना,

पक्षी को लगे प्यारा।

सौ बार शीश झुकाता है,

ना चाहिए उसको बहुत सारा।


हम सौ बार खाते हैं,

फिर भी ना आभारी हैं।

है,कृपा माॅं अन्नपूर्णा का,

तभी रसोई हमारी है।


इनका आभार हम कर लें,

उचित व्यवहार को वर लें।

अन्नपूर्णा का अपमान ना होवे,

ऐसा कार हम कर लें।

साधना शाही,वाराणसी





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