गुरुवार, 14 सितंबर 2023

खिलता कहां है रात में सूरजमुखी का फूल मैं गम नसीब लाऊं कहां से खुशी का फूल- अहकम ग़ाज़ीपुरी

खिलता कहां है रात में सूरजमुखी का फूल
मैं गम नसीब लाऊं कहां से खुशी का फूल

बस्ती है आग आग तो सेहरा धुआं धुआं
नज़रे शरर हुआ है यहां बेबसी का फूल

वह खुशबूओं को ढूंढते गुलशन में रह गए
महका गया वजूद मेरा दिलकशी का फूल

खुशबू ख़लूस की न लचक प्यार में रही
शाख़े वफ़ा पे कैसे खिले दोस्ती का फूल

अहले क़लम ही शहर में गुमनाम रह गए
अब नाबलद के पास है दानिशवरी का फूल

गर आदमी शजर है तो बच्चा गुले मुराद
बच्चे को आप क्यों ना कहें आदमी का फूल

अहकम हरीमे नाज़ के आदाब सीखिये
यूँ फेंकिए न हुस्न पे दीवानगी का फूल


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें