बारात का आवारा
बड़ा आवारा कौन है कितना,
मोबाइल करती निगरानी,
आवारापन में कमी पड़ी तो ,
डी,जे चढ़ाता उस पर पानी ।।
उर्जा इतनी भर देता है ,
कूदे, फांदे करे लड़ाई ,
बहादुर वीर वही यहां है ,
जिन से डरती खूद पढ़ाई ,
बढ़ाई अपनी मस्त हैं रहते ,
बदन कूदती है मनमानी ,
बड़ा आवारा कौन है कितना,
मोबाइल करती निगरानी ।।
देर शाम से शुरू है होता,
देर रात तक चलता दौर,
कूदा फादा शरीक नहीं जो ,
निकल न सकता सीधा कौर ,
और में बस वही है बचता ,
वहीं कहीं है हार जो मानी ,
बड़ा आवारा कौन है कितना,
मोबाइल करती निगरानी ।।
नर्तक विचारा नाच न पाता ,
नाच रहे घुंघराले बाल ,
स्तन बनावटी रहा सजावटी,
छूना चाहे नर्तक खाल ,
चुम्मा चुम्मी हुम्मा हम्मी,
नया नई नवनीत जवानी ,
बड़ा आवारा कौन है कितना,
मोबाइल करती निगरानी,
आवारापन में कमी पड़ी तो,
डी ,जे चढ़ाता उस पर पानी ।।
कन्हैयालाल शिक्षक
जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जंगीपुर गाज़ीपुर
मोबाइल संख्या 84 2339 7106
अगर आपको यह कविता पसंद आए तो अधिक से अधिक शेयर लाइक कमेंट करें
बहुत-बहुत धन्यवाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें