तू नही तो तेरी याद सही यादो के सहारे जी लेगे
हम ज़हर गमो का पी लेगे खुद चाक ग़रीबा सी लेगे..
यू मेरी तरह कोई ना उजड़े ना मीत किसी मन का बिछड़े
तोड़ा है मेरा दिल तूने मगर किसी और के मत करना टुकड़े...
इल्ज़ाम वफ़ा के हस कर हम सर देके ना हिलेगे
हम ज़हर गमो का पी लेगे खुद चाक ग़रीबा सी लेगे..
कभी तुझको चाँदनी रातो मे याद आए जो हम बरसातो मे
नफ़रत से ही लेना नाम मेरा कभी ज़िक्र मेरा हो बातो मे..
रोयेंगे सदा पर भूले से हम नाम ना तेरा कभी लेगे
हम ज़हर गमो का पी लेगे खुद चाक ग़रीबा सी लेगे..
इन प्यार की सब तस्वीरी को और लिखी सब तहरीरओ को
एक राख का ढेर बना देना सब खवाबो की तबीरो को..
बर्बाद ना अपना वक़्त करो हम राहे अपनी नयी लेगे
हम ज़हर गमो का पी लेगे खुद चाक ग़रीबा सी लेगे...
गिरती हुई हम है दीवारे जो देखे हमे वो दुतकारे
तक़दीर के हाथो बेबस है हर जीती हुई बाज़ी हारे...
देखेगे तुझे जब "इशरत" हम आँखो मे गम की नमी लेगे
हम ज़हर गमो का पी लेगे खुद चाक ग़रीबा सी लेगे..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें