गुरुवार, 3 अगस्त 2023

वनवास जा रहे है, रघुवंश के दुलारे हारे हैं प्राण जिसने, लेकिन वचन ना हारे।

वनवास जा रहे है, रघुवंश के दुलारे,
हारे हैं प्राण जिसने, लेकिन वचन ना हारे।
वनवास जा.......

जननी है जन्मभूमि, हिम्मत से काम लेना,
चौदह बरस है गम के, इस दिल को थाम लेना।
बिछड़े तो फिर मिलेंगे, हम अंश है तुम्हारे।।
वनवास जा..........

प्यारे चमन की फूलों, तुम हौसला ना छोड़ो,
इन आंसुओं को रोको, ममता की तार तोड़ो।
लौटेंगे दिन खुशी के, एक साथ जो गुजारे।।
वनवास जा..........

इसमें है दोष किसका,उसकी यही रजा है,
होकर वही रहेगा, किस्मत में जो लिखा है।
कब पथिक यह टरी है, होनी किसी के टारे।।
वनवास जा.......


वनवास जा रहे है, रघुवंश के दुलारे,
हारे हैं प्राण जिसने लेकिन वचन ना हारे
वनवास जा.......



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