बदरा निरदइया
तरसवलस हो तरसवलस हो
बदरा निरदइया
उमड़-घुमड़ के आवै-धावै
बरसै ना बस गरजै गावै
किसनन के भरमवलस हो
बदरा निरदइया
मनमोर भइल सबही नाचत बा
भर सिवान टर-टर बाजत बा
अंखिअन धूर फंकवलस हो
बदरा निरदइया
कइसन मेढ़ आ कइसन खावां
गड़ही गुड़ुही कुल भइलैं आवां
छहवों देहं जरवलस हो
बदरा निरदइया
सावन साथ धइलस पुरुआ के
दिनवा खूब लखइलस उरुआ के
तरई रात देखवलस हो
बदरा निरदइया
धिक्कल तावा भइल बा धरती
गोयड़ा-सिवान धइल बा परती
नटई के सुखववलस हो
बदरा निरदइया
कहां गइल हर कहां बा पैना
खाली अंजुरी बिन चना-चबैना
गंउवा शहर पठवलस हो
बदरा निरदइया
(मेरे भोजपुरी काव्य संग्रह 'चिल्होर' से)
डाॅ.एम डी सिंह
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