शनिवार, 12 अगस्त 2023

जयति-जयति जय मातु सरस्वती जय-जय-जय सुरभारती सरस्वती वंदना डाॅ0 गजाधर शर्मा 'गंगेश'

 सरस्वती वंदना 

जयति-जयति जय मातु  सरस्वती, 

जय-जय-जय सुरभारती।

पाप-ताप कलिमल दुःख-हरणी, 

सुकृति-सुवास सुधा-रस भरणी, 

जीवन-पथ निष्कंटक करके

भव-बाधा सब टारती। 

जयति-जयति जय मातु  सरस्वती, 

जय-जय-जय सुरभारती।


राग-द्वेष हर, सुख-समृद्धि भर, 

काट अंध, तन-मन ज्योतित कर, 

शरणागत को दिव्य दृष्टि दे 

पल-क्षण में ही तारती। 

जयति-जयति जय मातु  सरस्वती, 

जय-जय-जय सुरभारती।


ज्ञान, सुयश, सद्बुद्धि दिला दो, 

विनय-विवेक का सुमन खिला दो, 

एक तुम्हीं ममता की मूरत

बिगडा़ भाग्य संवारती।

जयति-जयति जय मातु  सरस्वती, 

जय-जय-जय सुरभारती।


भक्ति-भाव अमृतमय स्वर दो,

सेवा-श्रम, सुविचार अमर दो,

अभिलाषा में वरद हस्त की 

अर्पित तुझको आरती।

जयति-जयति जय मातु  सरस्वती, 

जय-जय-जय सुरभारती।

डाॅ0 गजाधर शर्मा 'गंगेश'



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