सरस्वती वंदना
जयति-जयति जय मातु सरस्वती,
जय-जय-जय सुरभारती।
पाप-ताप कलिमल दुःख-हरणी,
सुकृति-सुवास सुधा-रस भरणी,
जीवन-पथ निष्कंटक करके
भव-बाधा सब टारती।
जयति-जयति जय मातु सरस्वती,
जय-जय-जय सुरभारती।
राग-द्वेष हर, सुख-समृद्धि भर,
काट अंध, तन-मन ज्योतित कर,
शरणागत को दिव्य दृष्टि दे
पल-क्षण में ही तारती।
जयति-जयति जय मातु सरस्वती,
जय-जय-जय सुरभारती।
ज्ञान, सुयश, सद्बुद्धि दिला दो,
विनय-विवेक का सुमन खिला दो,
एक तुम्हीं ममता की मूरत
बिगडा़ भाग्य संवारती।
जयति-जयति जय मातु सरस्वती,
जय-जय-जय सुरभारती।
भक्ति-भाव अमृतमय स्वर दो,
सेवा-श्रम, सुविचार अमर दो,
अभिलाषा में वरद हस्त की
अर्पित तुझको आरती।
जयति-जयति जय मातु सरस्वती,
जय-जय-जय सुरभारती।
डाॅ0 गजाधर शर्मा 'गंगेश'
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