तुम्हारे पदम् चरणों में नमन सौ बार है गुरुवर
नमन सौ बार है गुरुवर-२
कृपा की एक किरण दे दो, दुःखी संसार है गुरुवर।।
दुःखी संसार है गुरूवर-२
कृपा से आप की नद भी सु पावन नीर बन जाता-२
कृपा पाकर मरुस्थल भी की गंगा तीर बन जाता है-२
मनुजता पर तुम्हारा तो-२ बहुत आभार है गुरुवर
बहुत आभार है गुरूवर
तुम्हारे पदम् चरणों में नमन सौ बार है गुरुवर
नमन सौ बार है गुरुवर
तुम्हें भी छू लोग कण भी हो गये अनमोल कंचन से-२
निर्रथक वृक्ष भी सुरभित हुए हर ओर चन्दन से-२
सहज सानिध्य से सबका-२ किया उपकार है गुरूवर
किया उपकार है गुरूवर
तुम्हारे पदम् चरणों में नमन सौ बार है गुरुवर
नमन सौ बार है गुरुवर
तुम्ही ने सूत्र सिखलाया विचारों को बदलने का-२
तिमिर में आचरण बल से दीये की भाती जलने का-२
प्रखरता की मिले तुमसे-२ हमें पतवार है गुरूवर
हमें पतवार है गुरूवर
तुम्हारे पदम् चरणों में नमन सौ बार है गुरुवर
नमन सौ बार है गुरुवर
समर्पित ज्यों शिवा जी का गुरु के वास्ते प्रण था-२
विवेकानंद सा गुरु के लिए जैसा समर्पण था-२
हमारे कर्म चिंतन पर-२ वही अधिकार है गुरुवर
वही अधिकार है गुरूवर
तुम्हारे पदम् चरणों में नमन सौ बार है गुरुवर
नमन सौ बार है गुरुवर
तुम्हारी ज्ञान गंगा की सुधा सबको पिलायेंगे-२
हृदय निस प्राण है जिनके सरस उनको बनायेंगे-२
बने जीवंत है जिनको-२ सृजन स्वीकार है गुरुवर
सृजन स्वीकार है गुरूवर
तुम्हारे पदम् चरणों में नमन सौ बार है गुरुवर
नमन सौ बार है गुरुवर-२
कृपा की एक किरण दे दो, दुःखी संसार है गुरुवर।।
दुःखी संसार है गुरूवर-२
तुम्हारे पदम् चरणों में नमन सौ बार है गुरुवर
नमन सौ बार है गुरुवर-४
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