हे वीणा वादिनी मात शारदे आज हमें वर दे
ना स्वर है ना सरगम हममें कैसे तेरा गुण गाये।
टूटी फूटी बाणी लेकर द्वार तुम्हारे आए,
हे अमुक रागिनी हंस वाहिनी आज हमें वर दे।
हे वीणा वादिनी मात शारदे..................
मैं बालक अबोध अज्ञानी निशदिन ठोकर खाये
मन के अंधेरे छट जायेंगे बैठे आस लगाये,
हे ज्ञान दायिनी हंस वाहिनी आज हमें वर दे।
हे वीणा वादिनी मात शारदे............
पथ कठिन और अंबर ऊँचा कैसे कदम बढ़ाए
ज्ञान कुंड का घट खाली है कैसे तुम्हें समझाएं
है ग्रंथ धारणी हंस वाहिनी आज हमें वर दें।
हे वीणा वादिनी मात शारदे..............
रचनाकार- डॉ अवधेश कुमार सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें