शनिवार, 9 जुलाई 2022

आँखों को इंतज़ार था दे के हुनर चला गया, चाहा था एक शख्स को जाने किधर चला गया- आशा भोसले ग़ज़ल

आँखों को इंतज़ार था, दे के हुनर चला गया
चाहा था एक शख्स को जाने किधर चला गया
चाहा था एक शख्स ............
दिन की वो महफिले गयी, रातों के रत जगे गये-२
कोई समेट कर मेरे
कोई समेट कर मेरे, शानो सहर चला गया
चाहा था एक शख्स ............
झोंका हैं एक बहार का, रंगे ख़याल यार भी-२
हर्सू बिखर बिखर गयी
हर्सू बिखर बिखर गयी, खुश्बू जिधर चला गया
चाहा था एक शख्स ............
उसके ही दम से दिल मे आज, धूप भी चाँदनी भी हैं-२
दे के वो अपनी याद के
दे के वो अपनी याद के, शम्सो कमल चला गया
चाहा था एक शख्स..............

उछा बकुचा दर बदर, कब से भटक रहा है दिल-२
हुमको भुला के राह वो
हुमको भुला के राह वो, अपनी डगर चला गया
चाहा था एक शख्स............४




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