शनिवार, 26 मार्च 2022

याद बहुत आते हैं गुड्डे-गुड़ियों बाले दिन- - स्व. प्रमोद तिवारी

याद बहुत
आते हैं
गुड्डे-गुड़ियों बाले दिन
दस पैसे में
दो चूरन की पुड़ियों
वाले दिन
ओलम, इमला, पाटी, बुदका
खड़ियों वाले दिन
बात-बात में
फूट रही
फुलझड़ियों वाले दिन

पनवाड़ी की चढ़ी उधारी
पनवाड़ी की चढ़ी उधारी
घूमें मस्त निठल्ले
कोई मेला-हाट न छूटे
टका नहीं है पल्ले
कॉलर खड़े किये
हाथों में
घड़ियो वाले दिन
ट्रांजिस्टर पर
हवामहल की
कड़ियों वाले दिन

लिख-लिख, पढ़-पढ़ चूमें-फाड़ें
लिख-लिख, पढ़-पढ़
चूमें-फाड़ें
बिना नाम की चिट्ठी
सुबह दुपहरी शाम उसी की
बातें खट्टी-मिट्ठी
रूमालों में फूलों की
पंखुड़ियों वाले दिन
हड़बड़ियों में
बार-बार
गड़बड़ियों वाले दिन ।।

            - स्व. प्रमोद तिवारी


गुरुवार, 24 मार्च 2022

क्यों असुरक्षित है भारत का मुसलमान - देवेन्द्रा गुप्ता, अधिवक्ता उच्च न्यायालय प्रयागराज

*#उत्तराखंड से 2,00,000 #मुस्लिम बच्चे रातों-रात हो गए गायब, फिर सामने आयी वो खौफनाक सच्चाई, जिसे देख मोदी भी रह गए हैरान!*

अभी हाल ही में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा था कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है. अभी-अभी आ रही एक बेहद सनसनीखेज खबर से साबित हो गया है कि आखिर हामिद अंसारी जैसे लोगों में असुरक्षा की भावना क्यों पनप रही है. खबर है कि उत्तराखंड में मदरसों में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुस्लिम बच्चे रातों-रात गायब हो गए हैं. पूरी खबर जान कर आपके पैरों तले भी जमीन खिसक जायेगी.

दरअसल मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को पिछले कई दशकों से हर महीने सरकार की ओर से वजीफा यानी स्कॉलरशिप दी जा रही थी. लेकिन जैसे ही उत्तराखंड सरकार ने इन बच्चों के बैंक खातों को आधार नंबर से लिंक करने को कहा, तो एक साथ 1 लाख 95 हजार 360 बच्चे गायब हो गए. गायब हुए इन छात्रों के नाम पर अभी तक सरकार हर साल करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति बांट रही थीं. जोकि अब घट कर केवल 2 करोड़ रह गयी है.

*जानिये क्या है पूरा माजरा !*

दरअसल गायब हुए ये बच्चे कभी थे ही नहीं, बच्चो के झूठे नामों के आधार पर मदरसों द्वारा सरकार से पैसे लिए जा रहे थे. कांग्रेस की सरकार थी, तो जाहिर है कि लूट का माल नीचे से ऊपर तक बांटा जाता होगा वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि कांग्रेस सरकार को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी और बीजेपी ने आते ही पता लगा लिया.

*तो इसलिए असुरक्षित हैं मुसलमान?*

ये तो अकेले उत्तराखंड का मामला है, अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश में मदरसों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया. इस बात से साबित हो गया है कि बीजेपी की सरकार आने के बाद से मुस्लिम खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

2014-15 तक केवल उत्तराखंड में 2 लाख 21 हजार आठ सौ मुस्लिम छात्र सरकारी स्कॉलरशिप पा रहे थे. आधार से लिंक होते ही इनकी संख्या गिरकर केवल 26 हजार 440 रह गई. यानी लगभग 88 फीसदी मुस्लिम छात्रों की संख्या कम हो गई. ये वो स्कॉलरशिप है जो बीपीएल यानि बेहद गरीब परिवारों के छात्रों को दी जाती है. सरकार उन छात्रों के लिए भी प्रावधान लायी, जिनके पास आधार नहीं है. ऐसे छात्रों को भी स्कॉलरशिप का फायदा मिल रहा है, लेकिन इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना जरूरी है. लेकिन सत्यापन हो कैसे, जब वो छात्र हैं ही नहीं.

फर्जी मदरसे, फर्जी छात्र, और सरकारी पैसों की लूट !

फर्जी नामों के आधार पर बरसों से जनता के पैसों की लूट हो रही थी. ये तो कुछ भी नहीं, और सुनिए. छात्र तो छोड़िये, यहाँ तो कई मदरसे भी केवल कागजों पर चल रहे थे. असलियत में कई मदरसे थे ही नहीं और ना ही इनमे कोई छात्र पढ़ते थे. बस केवल फर्जी छात्रों के नाम भेजकर आराम से सरकारी फंड हासिल कर रहे थे.

हैरत की बात तो ये है कि उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 जिलों में तो एक भी मुसलमान छात्र स्कॉलरशिप लेने नहीं आया. सबसे ज्यादा लूट हरिद्वार जिले में चल रही थी. इसके बाद उधमसिंह नगर, देहरादून और नैनीताल जिलों के नंबर आते हैं.

*जिले की आबादी से भी ज्यादा बच्चे ?*

अभी और सुनिए, कुछ जिलों में अब तक *जितने मुस्लिम छात्रों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी, उतनी तो उन जिलों की कुल आबादी भी नहीं है.* जितनी आबादी नहीं है, उससे भी ज्यादा छात्रों के नाम पर मदरसे वर्षों से जनता के पैसों की लूट कर रहे थे. *कांग्रेस तुष्टिकरण के चलते ये सब होने दे रही थी और शायद अपना कमीशन भी लेती हो.*

बीजेपी सरकार आने के बाद इस घोटाले पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई, तो एकदम से हामिद अंसारी जैसों को असुरक्षित महसूस होने लगा. बहरहाल अब जिला प्रशासन को इस घोटाले के दोषियों की लिस्ट तैयार करने और उन पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. मदरसे के लुटेरों की धर-पकड़ शुरू हो गयी है, अंदेशा है कि इन्हे सजा तो होगी ही, साथ ही इनसे लूटा हुआ पैसा भी निकलवाया जाएगा.

*यूपी में भी इसीलिए है सारी दिक्कत*

उत्तर प्रदेश में तो और भी काफी कुछ चल रहा है. सरकारी पैसों की लूट वहां भी ऐसे ही की जा रही है, साथ ही खुफिया एजेंसियों ने ये भी अलर्ट दिया है कि कई मदरसों में बच्चों को कट्टरपंथी शिक्षा भी दी जा रही है. इस तरह की गड़बड़ियों को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री योगी जी ने सभी मदरसों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. राज्य में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं, उन्हें फंड कहाँ से आता है, इसकी किसी को कोई जानकारी तक नहीं है.

इन मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता. जबकि ऐसे छात्रों को लगातार अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत तमाम फायदे मिलते रहते हैं. *उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में चल रहे लगभग 800 मदरसों पर प्रतिवर्ष 4000करोड़ रुपये खर्च करती है.* मगर हैरत की बात है कि इसका एक बड़ा हिस्सा छात्रों तक पहुंचने की जगह उन लोगों की जेब में जा रहा है, जिन्हें लेकर *हामिद अंसारी जैसे लोग परेशान हो रहे हैं.*

पूरा पढने के बाद इसे बहुत
ग्रूपमे फॉरवर्ड करे ताकि देश की चुनाव में सबको मालूम हो कि बी जे पी कितना अच्छा काम करती है।

🙏
देवेन्द्रा गुप्ता, अधिवक्ता उच्च न्यायालय प्रयागराज 



बुधवार, 23 मार्च 2022

भारत के पूर्व प्रधान मंत्री गुलजारीलाल नंदा व उनका सादगी भरा जीवन- अज्ञात

94 साल के एक बूढ़े व्यक्ति को मकान मालिक ने किराया न दे पाने पर किराए के मकान से निकाल दिया। बूढ़े के पास एक पुराना बिस्तर, कुछ एल्युमीनियम के बर्तन, एक प्लास्टिक की बाल्टी और एक मग आदि के अलावा शायद ही कोई सामान था। बूढ़े ने मालिक से किराया देने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया। पड़ोसियों को भी बूढ़े आदमी पर दया आयी, और उन्होंने मकान मालिक को किराए का भुगतान करने के लिए कुछ समय देने के लिए मना लिया। मकान मालिक ने अनिच्छा से ही उसे किराया देने के लिए कुछ समय दिया।

बूढ़ा अपना सामान अंदर ले गया।

रास्ते से गुजर रहे एक पत्रकार ने रुक कर यह सारा नजारा देखा। उसने सोचा कि यह मामला उसके समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए उपयोगी होगा। उसने एक शीर्षक भी सोच लिया, ”क्रूर मकान मालिक, बूढ़े को पैसे के लिए किराए के घर से बाहर निकाल देता है।” फिर उसने किराएदार बूढ़े की और किराए के घर की कुछ तस्वीरें भी ले लीं।

पत्रकार ने जाकर अपने प्रेस मालिक को इस घटना के बारे में बताया। प्रेस के मालिक ने तस्वीरों को देखा और हैरान रह गए। उन्होंने पत्रकार से पूछा, कि क्या वह उस बूढ़े आदमी को जानता है? पत्रकार ने कहा, नहीं।

अगले दिन अखबार के पहले पन्ने पर बड़ी खबर छपी। शीर्षक था, ”भारत के पूर्व प्रधान मंत्री गुलजारीलाल नंदा एक दयनीय जीवन जी रहे हैं”। खबर में आगे लिखा था कि कैसे पूर्व प्रधान मंत्री किराया नहीं दे पा रहे थे और कैसे उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया था। टिप्पणी की थी के आजकल फ्रेशर भी खूब पैसा कमा लेते हैं। जबकि एक व्यक्ति जो दो बार पूर्व प्रधान मंत्री रह चुका है और लंबे समय तक केंद्रीय मंत्री भी रहा है, उसके पास अपना ख़ुद का घर भी नहीं।

दरअसल गुलजारीलाल नंदा को वह स्वतंत्रता सेनानी होने के कारण रु. 500/- प्रति माह भत्ता मिलता था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इस पैसे को अस्वीकार किया था, कि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के भत्ते के लिए लड़ाई नहीं लड़ी। बाद में दोस्तों ने उसे यह स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया यह कहते हुए कि उनके पास उत्पन्न का अन्य कोई स्रोत नहीं है। इसी पैसों से वह अपना किराया देकर गुजारा करते थे।

अगले दिन प्रधान मंत्री ने मंत्रियों और अधिकारियों को वाहनों के बेड़े के साथ उनके घर भेजा। इतने वीआइपी वाहनों के बेड़े को देखकर मकान मालिक दंग रह गया। तब जाकर उसे पता चला कि उसका किराएदार, श्री. गुलजारीलाल नंदा भारत के पूर्व प्रधान मंत्री थे। मकान मालिक अपने दुर्व्यवहार के लिए तुरंत गुलजारीलाल नंदा के चरणों पर झुक गया।

अधिकारियों और वीआईपीयोंने गुलजारीलाल नंदा से सरकारी आवास और अन्य सुविधाएं को स्वीकार करने का अनुरोध किया। श्री. गुलजारीलाल नंदा ने इस बुढ़ापे में ऐसी सुविधाओं का क्या काम, यह कह कर उनके प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। अंतिम श्वास तक वे एक सामान्य नागरिक की तरह, एक सच्चे गांधीवादी बन कर ही रहते थे। 1997 में सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।

जरा उनके जीवन की तुलना वर्तमानकाल के राजनेताओं से करें।
🙏🏻



सोमवार, 21 मार्च 2022

जब तुम भूले प्रिय तो कह दो, उल्लास कहाँ होली कैसी- संजीव कुमार त्यागी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

कैसा अबीर  क्या है गुलाल
अब रंग और रोली कैसी?
जब तुम भूले प्रिय तो कह दो,
उल्लास कहाँ होली कैसी?

वे बोल खो गए कभी जिन्हें,
सुनने को समय ठहरता था।
तो भौंरे का गुंजन कैसा,
फिर कोयल की बोली कैसी?

वीणा पर बजते वसंत सा,
मनहर तेरा वह हास नहीं।
तब फ़ाग सुहाएगा किसको,
हुरियारों की टोली कैसी?

सब जलीं लालसाएँ मन की,
तेरे वियोग की होली में।
अब 'त्यागी' का मधुमास कहाँ,
सपनों की रंगोली कैसी??

-संजीव कुमार त्यागी
ग्राम पोस्ट- लठूडीह जिला ग़ाज़ीपुर
उत्तर प्रदेश





बढ़ी भोजपुरी तबे बढ़ी भोजपुरिया- संजीव कुमार त्यागी ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश

* बढ़ी भोजपुरी तबे बढ़ी भोजपुरिया *
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मधुर सरल सब रस से भरल लागे,
बोलत सुनत जइसे लागेले मिसिरिया।
भाव से भरल दरियाव नाहीं थाह मिले,
लागे ब्रह्मलेख लेखा एकरो अछरिया।
एतना महान माई भाखा के बिसार काहें,
करेलीं गुलामी दोसरा के जयकरिया।
दुनिया के भाषा सब सीखीं पर याद रहे,
बोलीं भोजपुरी जब मिले भोजपुरिया।।

एही के बचावे बदे फत्ते शाही राज छोड़ी,
बनवा के सहलन लाखों दुखदरिया।
बहियाँ के अपने से कटले कुंवर सिंह,
करेली बयान गंगा माई के लहरिया।
गोरख कबीर लेखा केतने महान लोग,
गावेलें एकर गान बनि के पुजरिया।
काहें के डेरात बानी बोले से लजात बानी!
छतिया के तानि कहीं हईं भोजपुरिया।।

सुरुज के बढ़ला से दिनवा बढ़त जाला,
बढ़ेलें चनरमा त बढ़ेले अँजोरिया।
दान पुन जइसे बढ़ावेला धरम के जी,
चढ़ते आषाढ़ बढ़े जइसे बदरिया।
कुल खानदान जइसे पावेला सपूत के त,
बढ़ि जाला मान जइसे बढ़ेले पगरिया।
ओही तरे बान्ही गाँठ राख लेईं मोर बात,
बढ़ी भोजपुरी तब्बे बढ़ी भोजपुरिया।।

रचनाकार- श्री संजीव कुमार त्यागी
ग्राम पोस्ट- लठूडीह जिला- ग़ाज़ीपुर





रविवार, 20 मार्च 2022

चारो भैया लिहल जनमवा हो रामा चैत शुभ दिनवा (चैइता गीत)

चारो भैया लिहल, जनमवा, हो रामा

चैत शुभ दिनवा................................-2

केकर हउव राम,  केकर हउव लक्ष्मण -2
केकर हउव  भरत भुवलवा हो रामा
चैत शुभ दिनवा................................ -2
चारो भैया लिहल, जनमवा, हो रामा
चैत शुभ दिनवा................................-2


कौशल्या के राम, सुमित्रा  के लक्ष्मण -2
कैकेयी के भरत भुवलवा हो रामा
चैत शुभ दिनवा................................ -2
चारो भैया लिहल, जनमवा, हो रामा

चैत शुभ दिनवा................................-2

के हो लुटावेला अन धन सोनवा-2
के हो लुटावेला कर कँगनवा हो रामा 
चैत शुभ दिनवा.
चारो भैया लिहल, जनमवा, हो रामा

चैत शुभ दिनवा................................-2


राजा लुटावेलन अन धन सोनवा-2
रानी लुटावेली कर कँगनवा हो रामा 
चैत शुभ दिनवा.
चारो भैया लिहल, जनमवा, हो रामा

चैत शुभ दिनवा................................-2




गुरुवार, 10 मार्च 2022

गाज़ीपुर के कुल सात विधान सभा के 7 सीटो पर समाजवादी पार्टी व उनके सहयोगियो पार्टी की जीत- लव तिवारी


गाज़ीपुर के कुल सात विधान सभा के 7 सीटो पर समाजवादी पार्टी व उनके सहयोगियो पार्टी को ढेर सारी शुभकामनाए व बधाई


 1-सदर जीत- समाजवादी पार्टी के जैकिशन साहू ने बीजेपी की संगीता बलवंत को 1692 मतों से पराजित किया


2-जमानियां सपा के ओमप्रकाश सिंह ने बीजेपी की सुनीता सिंह को 22145 मतों से हराया


3-जहूराबाद से सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी के कालीचरण राजभर को 45231 मतों से हराया।


4-जखनियां से सुभासपा के बेदीराम ने बीजेपी के रामराज वनवासी को 36865 मतों से हराया


5-जंगीपुर से सपा के वीरेंद्र यादव ने बीजेपी के रामनरेश कुशवाहा को 35063 मतों से पराजित किया।


6- सैदपुर से सपा के अंकित भारती ने बीजेपी के सुभाष पासी को 35792 मतों से पराजित किया।


7-मुहम्मदाबाद से सपा के शोएब अंसारी ने बीजेपी की अलका राय को 18759 मतों से पराजित किया।














शुक्रवार, 4 मार्च 2022

कृष्णानंद उपाध्याय जी व चंदन राय (संचालक गरीब असहाय सहयोग संगठन) लगभग 700 लावारिस लाशों का दाह संस्कार

दिनांक ०१-मार्च -२०२२ बड़े भैया आदरणीय कृष्णानंद उपाध्याय जी Krishna Upadhyay व चंदन राय (संचालक गरीब असहाय सहयोग संगठन) जिनके द्वारा अबतक लगभग 700 लावारिस लाशों का विधिपूर्वक दाह संस्कार अपने सहयोगियों के साथ मिलकर किया है। इसी कार्यक्रम के उपलक्ष्य में कल बड़े भैया के पैतृक निवास शाहपुर उसरी ग़ाज़ीपुर में लगभग 500 गरीब, दिव्यांग जन को भोजन के साथ कंबल वितरण किया गया। इस विशेष आयोजन के मुख्य अतिथि महर्षि विश्वामित्र ऑटोनॉमस स्टेट मेडिकल कॉलेज गाजीपुर के प्राचार्य आदरणीय प्रो. आनंद कुमार मिश्रा जी एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल गाजीपुर डॉ. राजेश कुमार सिंह जी के साथ विशिष्ट सर्जन आदरणीय श्री एस सी तिवारी जी की गरिमामयी उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी सुंदरता और भी बढ़ गई।

आदरणीय श्री एस सी तिवारी जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि देश या क्षेत्र में ऐसे बहुत कम लोग है जो इस तरह के उत्कृष्ट सामाजिक कार्यो के लिए अपने जीवन को पूर्ण रूप से समर्पित करके ऐसे महान कार्यो को अपने संगठन के साथ अंजाम दे रहे है। हम आप सभी को इस तरह के कार्यो में अपना शारीरिक रूप व आर्थिक रूप से योगदान देना चाहिए व इनकी कार्यो का प्रचार प्रसार भी करना चाहिए जिससे अन्य जिले प्रदेशो में इनके जैसे महान समाजसेवी संगठन का निर्माण हो सके।।
गरिमामयी उपस्थिति -Prem Mishra Deepak Kumar Pandey Adv Manoj Kumar Upadhyay Abhay Chaubey Ranu Mishra दिव्यांशु सिंह राजपूत

मीडिया रिपोर्टर- Sushil Tiwari Suneel Singh Yadav

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