शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

इनके दीये भी ख़रीदो जो आस लगाए बैठे है। अपने मेहनत की मजदूरी का विश्वास लगाए बैठे है- लव तिवारी

इनके दीये भी ख़रीदो जो आस लगाए बैठे है।
अपने मेहनत की मजदूरी का विश्वास लगाए बैठे है।।

वो बम पटाखो की चकाचौध में तुम ढूढ़ते हो चन्द खुशियां को।
इनके मेहनत को भी परखों जो घर बार लागाये बैठे है।।

कई दीप जलाओ इनके नाम पर, दे दो इनको भी कुछ खुशियां।
मिट्टी के बर्तन के कई नमूनों का जो बाजार लागाये बैठे है।।

एक भव्य साधना आत्मबल की, और आत्मसम्मान निर्धनता की।
आत्मनिर्भरता को करके परिभाषित रोजगार लगाये बैठे है।।

रचना- लव तिवारी
युवराजपुर ग़ाज़ीपुर उत्तर प्रदेश २३२३३२

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