सन 2004-05 जब में इंटरमीडियट का स्टूडेंट था उस समय जीव विज्ञान और इंग्लिश की कोचिंग में अक्सर उससे मुलाकात होती थी एक अंजान व्यक्तितव की तरह हम दोनों को केवल पढ़ाई और लिखाई से तालुकात था वो कोचिंग की पढ़ाई कर अपने घर और मैं अपने घर लौट आता था। उसी समय ग़ाज़ीपुर में एक फंक्शन कन्याविद्या धन ऑर्गनाइज हुआ उस फंक्शन में हम दोनों भाइयों ने शिरकत की और बहुत शोहरत और नाम कमाया। उस फक्शन को उसका छोटा भाई देख रहा था इन मोहतरमा के घर पर इंग्लिश की कोचिंग चलती थी। जब हम लोग अगले दिन शाम को पहुचे तो उसने अपने दीदी को सारी बात बता रखी थी । वो इंग्लिश के टीचर से जिद करने लगी सर प्लीज गवा दो ना दोनो भाइयो से कुछ सर प्लीज मुझे पता नही कि मैंने गाना गया था कि नही इस बात का मुझे ख्याल नही लेकिन कुछ दिन बाद सेसन खत्म हो गया और गर्मी की छुट्टी आ गयी बाद में में जब पास हुआ तो में बीएससी में एडमिशन के लिए जिस कॉलेज में गया वहाँ ये भी आ गई जो उसने या मेरे मन मे जो बात थी या पिछले वर्ष जो कसर छोड़ी थी उसे पूरा करने के चाह में हमें देखने लगी । मुझे भी इसका देखना बहुत अच्छा लगता था।
मुझे भी बहुत अच्छा लगता था उसका देखना जब नजर मिलती एक अलग सुखद अहसास दिल को विशेष आनंद देता में नही चाहता कि में बदनाम हु और मेरी इस आशिकी को कोई पहचान पाए लेकिन में गलत था क्यो कि किसी शायर ने कहा है-
हालात मेरे मुझसे ना मालूम कीजिये,
मुद्दत हुई मुझसे मेरा ही कोई वास्ता नहीं
2-कभी कहा न किसी से तेरे फसाने को
और न जाने कैसे खबर हो गयी जमाने को
सुना है गैर की महफ़िल में आप न जाओगें
कहो तो आज सजा दु गरीब खाने को
फिर वही हुआ जामने को खबर लग गई । लेकिन में इस बात को जान कर भी अंजान बना था क्यो की एक लड़के और लड़की जितनी सोहरत थी उससे बहुत ज्यादा अपनी हस्ती थी इसकी वजह हमारी गायकी और साथ मे मेरे भाई का अलग विषय से बीएससी करना । इस बात का अंदाजा मुझे तब लगा जब मै अपनी गैर सहयोगी लड़की जो रिश्ते में मेरी बहन लगती थी उस के साथ एक बार सायकिल से बात करते जा रहा था बहन बगल में मेरे साथ साईकल चला कर मेरे साथ ही मेरे क्लास में पढ़ती थी। शाम तक शहर में खबर फेल गई कि आप के भाई एक लड़की के साथ पी जी कॉलेज आ रहे थे सभी ने ये समझ की मेरी गर्ल फ्रेंड है वो शाम को घर आते भाई ने पूछा किसके साथ बात करते हुए जा रहे थे। मैंने कहा बहन के साथ जब मैंने बहन का नाम लिया तो भाई हस पड़ा बोला शहर में तो कुछ दूसरी ही बात के चर्चे हो रहे है।
इसी दौरान मैंने एक ग़ज़ल लिखी और मुझे खुशी का ठिकाना न था कोई कि किसी व्यक्ति को अगर एक शोहरत से बहुत कुछ मिला हो और कोई दूसरी विषय वस्तु भी उससे पास अपने आप चलकर आ जाये तो खुशी का ठिकाना नही होता। मैं केवल गायक था और आप राइटर हो गया था पहली ग़ज़ल और वो भी इतनी खूबसूरत जिसका मुझे अंदाजा नही था कि मैं भी ऐसा लिख सकता हूँ मैंने इस ग़ज़ल को कई लोगो को दिखाया कई ने तारीफ की कुछ की मोहब्बत मेरे जैसे चरम थी वो तो पीछे पड़ गए बोले दोस्त मुझे भी लिख कर दो मैंने कहा मन्त्र है क्या की लिख के दु अपनी ग़ज़ल और आप सभी को पता है किसी के लिए लिखा हूँ तो आप को कैसे दु। क्या था इस ग़ज़ल को लेकर मेरा एक दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड को लुभाने की फिराक में था। फिर उसने मुझसे आग्रह किया कि अगर ग़ज़ल दे नही सकते तो सुना तो सकते हो न फिर मुझे ये ग़ज़ल याद थी मैंने उसे कई बार सुनाई तो उसे भी शुरू की चंद लाइन याद हो गयी और बाद में पता चला कि उसने उन लाइनो की बदौलत अपनी प्यार की कहानी लिख दी और कुछ समय तक कामयाब भी रहा। वैसे क्या थी वो ग़ज़ल आओ भी सुने और पढ़े।
लिखने की जो गुडवक्ता मेरी में इसी दौर में विकसित हुई थी ।उस दौर मैंने एक डायरी बनाई थी क्यो की वो हार्ड कॉपी का दौर था जो कुछ भी लिखना होता कागज कलम और डायरी की जरूरत पड़ती आज का दौर सॉफ्ट कॉपी का दौर है जो भी लिखो किसी वेबसाइट पर लिखो या एक ब्लॉग बना लो उसपर अपडेट करो। डायरी में मैंने 100 से ऊपर ग़ज़ल कई ग़ज़ल गायको के गीत को टेप रिकॉर्डर में सुनकर लिखा था। कई ग़ज़लों के सुनने और उनके यादो ने मूझे लेखक बना दिया वैसे तो मैंने बहुत ग़ज़ल लिखी थी लेकिन कहा ग़ुम हुई ग़ज़लें या कहिये की हम सम्भाल नही पाए उन बेहतरीन दौर को लेकिन पहली ग़ज़ल मुझे आज भी याद है जिसे में नीचे शेयर कर रहा हूं आप भी पढ़िए और आनंद लीजिये-----
बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की ।
न जाने कहा से ख्यालो में आयी।।
तकल्लुफ़ की बातें बनावट नही।
न जाने वो कैसे मेरे दिल को भाई।।
वो चेहरा गुलाबी वो आँखे शराबी।
मगर उसके होंठो पर लाली थी ऐसी
न जाने कहाँ से ख्यालो में आयी
बहुत खूबसूरत जवां एक लड़की।।
परी तो ये मैंने ये देखी नही है ।
यू लगती है मुझको परी से भी प्यारी।।
मेरे दिल की ख्वाईश तमन्ना है ऐसी।
हो जाये वो मेरे सपनों की रानी ।।
बहुत खूबसूरत.......
तकल्लुफ़= दिखवाया, बनावटी
रचना- लव तिवारी
पहली ग़ज़ल - वर्ष 2005
फिर इस बात की जानकारी मेरी साथ पढ़ने वाली बहन को चली तो उसने जाकर इस बात को उस लड़की से शेयर कर दिया कि भैया आप की याद में बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखे है। अगर आप को सुनना है तो बताइए फिर में आप लिखवा के लाती हु फिर एक दिन सुबह सुबह मेरे पास आई और बोली भैया उस ग़ज़ल को लिखकर दीजिये मुझे जिसकी याद में आप ने लिखी हैं उन्होंने ने आग्रह किया है। मैं भी खुश हुआ कि बिना मेहनत और मसक्कत का मेरा पैगाम इस डाकिया के माध्यम से आसानी से पहुच जाएगा। जब उन मोहतरमा को ग़ज़ल मिली तो दोनों गुटों में बात ये आग तरह फैल गई लड़को वाले मुझसे पूछती लड़किया उस लड़की से और ग़ज़ल के बाद कुछ दिनों तक मोहब्बत पिक पर था यानी कि पूर्ण शिखर पर था लेकिन कुछ ही दिनों बाद ये शिखर खाई बन गया इसके पीछे मेरे दोस्तों की बदसलूकी और कुछ ना समझी भी थी। दोस्तो के इस रवैये से परेशान भी था और प्रभावित भी। लेकिन जो होना होता है वो पहले से
बीएससी में एक वर्ष की पढ़ाई बर्बाद होने बाद में मैंने कभी इन सब बातों से दूर हो गया था। क्यो की वो किसी वजह से मेरे कॉलेज को छोड़ चुकी थी और में उसे, स्नातक की पढ़ाई के बाद हम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली नोएडा में प्रबंधन की पढ़ाई के लिए आ गए। और पढ़ाई कंपलीट करने के बाद नौकरी के तलाश में कई प्राइवेट कंपनियों में अपनी सेवाएं दी। उसमे एक रियल एस्टेट कंपनी में एक लड़की मिली थी थोड़ी मुलाक़ात में उसे उतने अच्छे से नही जानता था । कुछ दिन के बाद उसने उस कंपनी को छोड़ा और उसके छोड़ने के कुछ दिन बाद मैंने तब तक कुछ ऐसी बातें नही थी जो मुझे उसके प्रति ज्यादा झुकाव या अलग बर्ताव के प्रति प्रेरित करे। फिर उस कंपनी के छोड़ने के बाद मैंने कई लोगो को सोशल मीडिया फेसबुक पर मित्र बनाया जिसमे उसका भी नाम शामिल था।
मुझे लिखने का शौक़ बचपन से था मैं बहुत कुछ लिखता इस वक्त की तरह लिखने पर बहुत ज्यादा पकड़ नही थी लेकिन कुछ लिख देता जो मेरे दोस्त को बहुत प्रभावित करता । और वो अक्सर उन पोस्टो को पढ़ती और कुछ न कुछ सोचती रहती। इस बात की पुष्टि उससे ख़ुद मुझसे की थी । फिर एक दिन मैंने उसे इसीतरह फ़ेसबुक चेट पर चेट के लिए आमंत्रित किया।चेट पर जैसे मैंने हाय लिखा जैसे लगा कि उसको मेरे कई वर्षों के मैसेज का इंतेजार था। बोली कि मैं पिछले 3 साल से आप की हर एक पोस्ट पढ़ती हु मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैंने कहा शुक्रिया इसतरह के तरफ के लिए सही पूछिये तो मुझे भी खुशी थी की मेरा लिखा हुई कविता कई लोग पड़ते और पसन्द करते है और फिर हमारी उनकी रोजाना चेट होने लगी। रोज मैसेंजर पर बात करते करते वो मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थी और उसके खूबसूरत चेहरे से ये भी अंदाजा नही लगया जा सकता कि वो शादी शुदा और बच्चों की माँ है। मैं अपने काम मे पूर्ण रूप से ब्यस्त था फेसबुक मैसेंजर पर उससे बात औऱ फिर उसके प्यारे अहसासों से कई बेहतरीन रचनाओ को अंजाम देता था।मुझे भी अपनी वो लिखने की पुरानी आदत पर धीरे धीरे पकड़ पाने की वजह और उसमें निपुणता की वजह से लिखना और उससे बात करना बहुत अच्छा लगता था। धीरे धीरे समय बीतता गया और हमारी रचनाओ में वो खूबसूरती आने लगी थी जिसकी प्रसंसा मुझे अन्य फसबूक मित्रो से मिल जाती थी। उस दौर में यही कुछ काम थे उससे बात थोड़ा बहुत आफिस का काम और फिर उसके द्वारा प्राप्त अहसासों को अपने शब्दों में पिरोना और ग़ज़ल और शायरी की रचना करना
एक दिन फिर मुझे अपने इलाज के चक्कर मे मुझे दूसरे प्रदेश को जाना था। उस दिन ट्रैन की टिकट भी कन्फर्म नही थी और अंत तक ना हुई और मुझे कुछ पैसों की भी जरूरत थी जितने पैसे दवा के लिए चाहिए थे उतने मेरे पास थे नही और उस समय जिस व्यक्ति ने मुझे पैसे देने की बात कही थी वो उसी वक़्त मुकुर गया, मैं बहुत परेशान था तभी मैंने उस लड़की को अपनी परेशानी बताई उस लड़की ने मुझसे ये कहा कहो तो मैं कुछ मदद करू । फिर क्या जो इज्जत और मोहब्बत उस लड़की की मेरे नजरो में थी वो उस दिन बहुत ज्यादा बढ़ गयी में बेचैन मन से बैठे यही सोच रहा था कि अपने तो पैसे रख कर भी बहाना बना लेते है। और बहाना भी बनाते है कि मेरे पास पैसा नही है। ये गैर होकर भी इतना मदद के लिए तैयार है, जिंदगी उस दिन बहुत खुश भी थी और बहुत दुःखी भी एक तरफ जहाँ पैसे की कमी ने दुख के सागर में मुझे छोड़ रखा था वही दूसरी तरफ एक नए हमसफ़र की ख्वाईश दिल मे एक नए उमंग के साथ खुशी का अहसास दिला रही थी। कि तुम अकेले नही हो तुम्हारे साथ भी कोई है लेकिन मैंने उस लड़की से पैसे नही लिए लेकिन अपना बहुत कुछ दे चुका था । दिल दिमाग और सब कुछ खाली समय मे पूरे जहन में बस उसी का ख्याल आता और मुझे सुखद अहसासों का अनुभव देता ।
मैंने भी पूरी तरह से मूड बना लिया था कि इस लड़की को प्रपोज करेंगे । औऱ इस नेक काम को हम दिल्ली पहुचते कर दिए फिर क्या वो नाराज हो गई और मुझे बहुत कुछ सुनाया उसे कहा तुम भी इन दिल्ली के लड़कों की तरह हो । मुझे आज तुम्हारी बात बहुत बुरी लग रही है । लेकिन मैं पूर्ण रुप से पुष्टि कर चुका था कि वो मुझे चाहती है कि नही उसने कई बार इस बात की पूर्ण रूप से पुष्टि की थी कि हा मुझे आप बहुत अच्छे लगते हो और और में आप को चाहती हूं इसी की जिक्र बाकी रह गयी थी जो मैं उसे प्रोपस करके कन्फर्म करना चाहता था। प्रपोस सफल नही हुआ उस दिन उस लड़की ने मुझे हर जगह से ब्लॉक कर दिया और मुझे नही याद है लेकिन कुछ लाइन याद है जैसा में समझती थी वैसे आप नही निकले आप भी दूसरों लड़को की तरह निकले। मुझ इस बात का पता अब चलता है जब जिंदगी में किसी को तकलीफ और धोखा मिला हो तो उसे अच्छे लोग भी बुरे लगते है। वैसे में बुरा नही था न कभी किसी लड़की से मिला था न किसी से प्यार का प्रोपस किया था। मुझे ये लगा कि अगर उसके दिल मे मेरे प्रति कुछ होगा तो ये उसके और मेरे सोचने में ही निकल जायेगा। वैसे जो भी हुआ मेरे साथ बहुत बुरा था उसकी जिंदगी उसे बहुत तकलीफ दी थी और मेरी जिंदगी को एक ऐसे साथी की तलाश जो मेरे अहसासों को उत्पन्न करें और मैं कुछ लिख सकू । जब मुझे इस बात का पता चला कि उसकी शादी किसी व्यक्ति से हुई है और अभी लड़ाई और झगङे ने उसकी जिंदगी को बर्बाद कर रखा है। तो मुझे अपने प्यार की कामयाबी पर जितना दुःख नही था उतना उसके इस बात को जानकर था।
फिर मुझे दूसरी कंपनी में जॉब मिल गया वहाँ में कंपनी के कार्य मे बहुत बिजी रहता था। मुझे उससे बात करने की फुरसत भी नही मिलती लेकिन 20 और 30 दिन पर कभी उससे बात हो जाती या फिर जब वो बिजी रहती तो बोलती की बाद में फोन करता हूं। इसी दौर में बात करने का सिलसिला 2 महीने के अंतराल पर होता था। एक दिन पता चला कि उसकी खोई हुई खुशिया उसे मिल गई । उससे उसका परिवार मिल गया पता है मुझे भी इस बात को जानकर उससे ज्यादा खुशी थी । क्यो कि मैंने उसके लिए भगवान से कई बार खुशी मान रखी थी। फिर एक दिन मुझे फेसबुक पर पूरे परिवार के साथ दिखी में पूर्ण रुप से संतुष्ट और धीरे धीरे उसके जिंदगी से दूर होता गया।
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