शुक्रवार, 14 जून 2019

पर्यावरण का स्थायी समाधान वन संरक्षण एवम वृक्षारोपण- लव तिवारी

पिछले कुछ दिनों से गर्मी के आतंक ने भारत देश को हिला कर रख दिया है, एक दिन तो यह आंकड़ा था विश्व के 15 सबसे गर्म शहरो में भारत के 10 शहर शामिल थे जिसमें राजस्थान के चूरू जिले का तापमान सबसे अधिक 50℃ से भी ऊपर था,  दोस्तों पानी का स्थायी समाधान नदी नालों को जोड़ना नहीं हो सकता, इसका स्थाई समाधान हमें हमारी जड़ों में और हमारी परंपरा में तलाशना होगा। हमारे पुरखों ने जंगलों से उतना ही लिया, जितना आवश्यक था। हमारे पुरखे सूखी लकड़ियों का प्रयोग करते थे। हरी टहनियों को तोड़ना पाप मानते थे।


हाल में ही भारत के प्रधानमंत्री से एक विशेष समुदाय के व्यक्ति के द्वारा मुलाकात हुई उसने भारत मे संस्कृत अध्ययन पर विशेष जोर देने को कहा संस्कृत भाषा मे पेड़ संरक्षण पर विशेष बल दिया है पिछली तीन सदियों से प्रकृति के साथ भरपूर छेड़छाड़ की गई। यह प्रक्रिया औपनिवेशिक भारत के पहले वन अधिनियम कानून से शुरू हुई। आज़ादी के बाद 1970 के बाद हमने सबसे अधिक प्रकृति और उसके उपादानों के साथ छेड़खान की है। इसका परिणाम हमें अत्यधिक तापमान, जल की कमी और सूखे के रूप में हमारे सामने आया है।
दोस्तों जल का स्थायी समाधान  पर्यावरण में बढ़ते तापमान का स्थायी उपाय अधिकाधिक वृक्षारोपण है। वृक्षारोपण की बात हर साल होती है, इसलिए हमें यह बात सामान्य लगती है, लेकिन इस बार इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाए तो और अधिक बेहतर होगा।
आने वाले मानसून के मध्य में हम 30 दिनों तक अपने अपने क्षेत्रों में वृक्षारोपण का कार्य करें। इसकी शुरुआत अपने-अपने घरों से कीजिये, इसके बाद सार्वजनिक स्थलों- विद्यालय, लोक धार्मिक स्थलों, ग्राम पंचायत भवन, डिस्पेंसरी, सड़क के किनारे, अथाई पर वृक्षारोपण का कार्य करेंगे। इससे एक ओर जल और जंगल सुरक्षित होगा वहीं दूसरी तरफ हमारे पुरखों के लिए यह एक आदर्श श्रद्धांजलि होगी। हमारी विचारधारा आदिवासियत की दिशा में यह एक सशक्त कदम भी होगा।



मुस्कुलर डिस्ट्रॉफी - कई निराशाओं में व्यथित मन ढूढ़े एक आशा- लव तिवारी

हिंदी हिन्दू और हिंदुस्तान का जिक्र करते हुए अपनी कहानी लिख रहा हूँ , हिन्दू और हिंदुस्तान की बात इस लिए है कई बाबाओ ने हिन्दू रीति रिवाज को इस हिंदुस्तान में बर्बाद कर रखा है, यही कारण भी हिन्दू धर्म में लोगो की आस्था दिन पर दिन खत्म होती जा रही है , सेक्टर 15 स्थित अपने आवास के पास एक नाई की दुकान है उस दुकान का मालिक ने जल्द में ही ईसाई धर्म को धारण कर लिया , मैंने पूछा कि ऐसा क्यों किया तो बोला मेरी धर्म पत्नी हमेशा बीमार रहती थी और जैसे मैने ईसाई धर्म को धारण किया मेरे पत्नी को पहले से बेहतर है।

अपनी कहानी पर आते है हम दो भाइयों लव और कुश तिवारी का जन्म 11 अगस्त 1987 को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर के युवराजपुर के ग्राम में हुआ था बचपन की पढ़ाई लिखाई गांव में हुई और बाद की पढ़ाई हाइस्कूल और इंटरमिडियड की पढ़ाई शहर के सरकारी स्कूल राजकीय सिटी इंटर कॉलेज में हुई। पढ़ाई के साथ साथ इस स्कूल में अपना एक अलग बर्चस्व था, इसका मुख्य कारण हम दोनों भाइयों को संगीत के प्रति रुचि और कॉलेज के हर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ के भागीदारी, राजकीय सिटी कॉलेज में पढ़ाई के बाद आगे की स्नातक तक कि पढ़ाई स्नाकोत्तर महाविद्यालय ग़ाज़ीपुर में पूरी हुई , स्नाकोत्तर की पढ़ाई के हम दोनों भाइयों को अलग अलग शहर जाना पड़ा मुझे प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट के लिए ग्रेटर नोएडा गौतम बुद्ध नगर उत्तर प्रदेश आना पड़ा और वही मेरे भाई को कंप्यूटर में पोस्ट ग्रेजुएट के लिए काशी बनारस आना पढ़ा, पढ़ाई पूरा होने के एक साल तक सब कुछ ठीक चल रहा था फिर एक दिन भाई को लगा कि मेरा शरीर दिन पर दिन कमजोर होता जा रहा है फिर उसने इस बात की जिक्र पिता जी से की , यही कोई दिसंबर 2012 में पिता जी ने उसे नोएडा से वाराणसी में बुला लिया, वही सारे परीक्षण के बाद पता चला कि हम दोनों भाइयो को मुस्कुलर डिस्ट्रॉफी नाम की भयानक बीमारी है इसकी बात की पुष्टि के वाराणसी के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय हॉस्पिटल ने हम दोनों भाइयों को अखिल भारतीय आयुवेर्दिक संस्थान जिसे एम्स दिल्ली कहा जाता है वहाँ के लिए भेजा, और वहाँ इस बात की पूर्ण पुष्टि हुई ।

यही से इस पूरे लेखन का शीर्षक कई निराशाओं में  व्यथित मन ढूढे  एक आशा, कई विशेष जानकारों का यह मानना है कि इस रोग का कोई इलाज संभव नही और किसी के द्वारा यह भी सुनने को मिलता है कि भारत के आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में ही एक इलाज संभव है, अब इस बात की पुष्टि और रोग के सही उचार के लिए देश के विभिन्न प्रदेशों के आयुर्वेद के चिकित्सक के पास आना जाना हुआ लेकिन कोई कारीगर इलाज नही मिला , इस बीच कई लोगो द्वारा ये सुझाव दिए गए दवा के साथ दुआ की भी जरूरत होती है फिर यहीं से शुरू हुई लूट खसोट की कहानी और फिर हिंदू धर्म के प्रपंच का अनोखा किस्सा , मरता क्या न करता हिंदुस्तान के इन पापी ब्राम्हणों ने बहुत रुपये तक चुना लगाया और फिर भी बात नही बनी, यही पर उस नाई की बात में सच्चाई नजर आई, उसको भी हिन्दू धर्म के इन  ढोंगी बाबाओं भी लूटा होगा और बाद में बेचारा थक हार कर ईसाई धर्म को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा होगा।

धन्यबाद - लव तिवारी
नोएडा उत्तर प्रदेश
+91-9458668566




बुधवार, 5 जून 2019

विश्व पर्यावरण दिवस पर आधुनिक मानव की मानसिकता - लव तिवारी

कुल्लू में तापमान 33℃ है ऋषिकेश में तापमान 38℃ है नैनीताल में 26℃ है डलहौजी में भी 25 से 30 के बीच मे है कुफरी में 23℃ है शिमला में 25℃ है और मसूरी में भी 26 है |इन सभी हिल स्टेशन्स के तापमान लगातार बढ़ रहें , दिल्ली से शिमला के लिए रोज हजारों लोग निकलते हैं और गर्मी के मौसम का आनंद लेकर चले आते है आते जाते हजारों रुपये खर्च के साथ जो लंबा जाम लगता है वहाँ जिसकी कोई हद नही शिमला को दिल्ली बनाने का प्रोसेस लगातार जारी है |जब इन प्राकृतिक जगहों पर ये हाल है तो भैया UP बिहार दिल्ली राजस्थान में 50℃ + तापमान पहुँचना नार्मल है ।


AC घर घर लग रही स्कूल, हॉस्पिटल,सरकारी आवास, सरकारी कार्यालय प्राइवेट संस्थान हर जगह AC का ही बोल बाला है , बिना AC आप रह भी नही सकते,हम अपनी मौत अपने हाँथो लिख रहे ,गंगा सूख गई है , ग्लेशियर में बर्फ ही नही है पिघलेगा कहाँ से ।

गर्मी पड़ती है हम झुंझलाते हैं , जिनका फील्ड वर्क है उनकी हालत खराब है , जो ऑफिसियल वर्क करते है उन्हें तो कम दिक्कत का सामना करना पड़ता है, आदमी की जितनी आमदनी नही उससे ज्यादा पैसा शिकंजी , ठंडे पानी और गन्ने के जूस पर खर्च कर देता है ! सरकार भी सस्ती AC बाँटने निकली है , दुबई जो की रेगिस्तान में बसा है वहाँ तापमान 42℃ है ,और हमारे यहाँ 50 पहुँच रहा , हमारे यहाँ केवल पर्यावरण दिवस पर पौधरोपण का कार्य किया जाता है और आज कल कार्यक्रम को सोशल मीडिया पर पोस्ट करके वाहवाही लूटी जाती है

सरकारों को इस ओर ध्यान देना चहिये , एक सीमा के बाद तो AC भी काम नही करती 60 ℃ के बाद खून उबल जाएगा और सब मर जाएँगे,
इस बार ठंडी में कुहरा का दर्शन नही हुआ , वरना पूरे दिन कुहरा पड़ता था ,
सावन की झड़ी तो लोग भूल ही चुके हैं जब हफ़्तों महीनों लगातार बारिश होती थी रिमझिम रिमझिम ।
एक AC और लाइये चलाइये अपने सुकून की केवल ढुढिये और सो जाइये !! विज्ञान और प्रकृति की लड़ाई में विजेता सदैव प्रकृति होगी लिख के ले लीजिए ।

प्रस्तुति - लव तिवारी
पर्यावरण दिवस पर विशेष
5 जून 2019





मंगलवार, 4 जून 2019

केजरीवाल के दिल्ली मेट्रो और डीटीसी बस में महिलाओं के मुफ्त यात्रा के संदर्भ में -लव तिवारी


मजबूर मजदूर और लड़की - ये वाक्य अब दिए गए केजरीवाल के दिल्ली मेट्रो और डीटीसी बस में महिलाओं के मुफ्त यात्रा के संदर्भ में है, वाकई केजरिवाल पर ये कहावत भी सटीक बैठती है, अँधेर नगरी चौपट राजा टका सेर भाजी टका सेर खाजा, बात सोचनीय है कि क्या मेट्रो या डीटीसी में फ्री सेवा उन गरीब मजदूरों के बजाय दिल्ली के उन महिला वर्ग को मिलनी चाहिए जिनकी वेतन हजारो एवम लाखो में है, फिर इस एलान से मेट्रो के विस्तार पर पूरा असर पड़ेगा और जिस मेट्रो की वजह से दिल्ली प्रदूषण रहित है पेड़ लगाने के बजाय दिल्ली के इवेन और ओड का फार्मूला भी फैल रहा, जहा लोगो के द्वारा अपनी वाहन छोड़ कर मेट्रो यात्रा या पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर जोर देना चाहिए वहाँ लोगो ने निजी वाहनों की संख्या बढ़ा दी जिसके पास इवेन नंबर का वाहन था उसने ओड नंबर का वाहन खरीदा, वैसे बहुत हद तक ये फार्मूला पसंद आया लेकिन एक साल तक ही इसे प्रयोग में लाया गया,केजरीवाल ने महिलाओं को मेट्रो मुफ्त करके दिल्ली चुनाव के बाद मेट्रो बंद करने की पूरी व्यवस्था कर दी, घाटे में कैसे चलेगी मेट्रो? वैसे मेरे हिसाब से वोटर जब 72 हजार ठुकरा सकता है तो मुफ्त यात्रा क्या मायने रखती है |