सारे राह कुछ भी कहा नही, कभी उसके घर मैं गया नही
मैं जनम जनम से उसी का हूँ उसे आज तक ये पता नही
सारे राह.….
ये खुदा की देन अजीब है, है इसी का नाम नसीब है
जिसे तूने चाहा मिल गया जिसे मैंने चाहा मिला नही
सारे राह..…
उसे पाक नजरो से चूमना भी इबादतों में शुमार है
कोई लाख फूल करीब हो कभी मैंने उनको छुआ नही
सारे राह..…
इस शहर में कई साल से मेरे कुछ करीबो अजीज है
उन्हें मेरी कोई खबर नही मुझे उनके का कोई पता नही
सारे.....
मैं जनम...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें