शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

देख मालिक एक सावन की कैसा कैसा रूप निराला- लव तिवारी

बचपन का शोर जवानी की उलझन और बुढ़ापे का शांत जमाना
देख मालिक एक सावन की कैसा कैसा रूप निराला

बचपन की एक नाव पुरानी उसपर हम सब खेले थे
और झूलों की रुत सुहानी जिस पर हम सब झूले थे
बाग बगीचे में अदभुत फल का क्या ठिकाना था
 हर बरस सावन की चाह का एक ग़जब जमाना था


यौवन में सावन की कजरी और प्रीतम का प्यार
साजन की राह निहारत सजनी करे सृंगार
सब बगिया बीच झूलो का यह ये अद्भुत त्यौहार
हर बरस सावन की खुशियां मिले हमे हर बार

 बूढ़ा सावन बचपन को ढूढे कैसे अपनी अखियों में
 कैसे बीते दिन सुहाने कुछ पत्ते कुछ कलियों में
बिन साजन सावन है सुना इस कजरी के मातम में
 कैसे कैसे दिन दिखे अब की बरस मोहे सावन में

 रचना - लव तिवारी