बुधवार, 27 सितंबर 2017

इधर जिंदगी का जनाजा उठेगा - ग़ज़ल चंदनदास

आईना देख के बोले ये सवारने वाले
अब तो बे मौत मरेगे तेरे मेरे वाले
कह गए मेरी मैय्यत से गुजरने वाले
रास आयी न जवानी तुझे मरने वाले
 
इधर जिंदगी का जनाजा उठेगा
उधर जिंदगी उनकी दुल्हन बनेगी
कयामत से पहले कयामत है यारो
मेरे सामने मेरी दुनिया लूटेगी
जवानी पे मेरी सितम ढाने वालो
जरा सोच लो क्या कहेगा जमाना-2
इधर मेरे अरमा कफन ओड़ लगे
उधर उनकी हाथो में मेहदी लगेगी
इधर जिंदगी का....
 
 
वो पर्दे के पीछे में पर्दे के आगे
न वो आगे न में जाऊ पीछे- 2
वो आगे बढ़ेगा कुछ भी न होगा
में पीछे हटूँगा तो दुनिया हँसेगी
इधर जिंदगी......
 
अजल से मोहब्बत की दुश्मन है दुनिया
कहि दो दिलो को ये मिलने न देगी
इधर मेरी गर्दन पर ख़ंजर चलेगा
उधर उनकी माथे पर बिंदिया सजेगी
इधर जिंदगी......
 
अभी उनके हँसने के दिन है वो हस ले
अभी मेरे रोने के दिन है में रो लू
मगर उनको एक दिन रोना पड़ेगा
की जिस रोज  मेरी मैय्यत उठेगी
इधर जिंदगी का जनाजा



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