रतिया सुतते हीं झट से बिहान हो गईल।
अखिया भरमल की घडिया तुफान हो गईल।
अखिया भरमल की घडिया तुफान हो गईल।
कईसे भागत बा सरपट समय के पहर।
एक दिन अउरू उमर के जिआन हो गइल ।।
कब ती ती ती ती, लुका छुपी छुटल।
कब बचपन के पटरी आ भाठा टुटल।
कब बचपन के पटरी आ भाठा टुटल।
काहवां गउआं गोनसारी के भूजा गईल।
अब त सापना उ मडई- पालान हो गईल।
एक दिन अउरू उमर के जिआन हो गइल।।
केतना धधकल ऊ कउडा, ऊ जाडा रहे।
केतना नीमन पनरह के पहाडा रहे।
केतना नीमन पनरह के पहाडा रहे।
चिउरा-मीठा के चासका भूलाला नाही।
जाने कांहवा नापाता बाथान हो गईल।
एक दिन अउरू उमर के जिआन हो गइल।।
कईसे माई उ लोरिया सुनावत रहे।
गोइठा, पूवरा पे खानवा बानावत रहे ।
बाबूजी से बेहाया के डंटा पडल।
काहवा गायब गोजहरा, निशान हो गईल।
एक दिन अउरू उमर के जिआन हो गइल।।
अब ना दिनवा उ रतिया दोबारा मिली।
अब ना समय उ गीने के तारा मिली।
अब ना समय उ गीने के तारा मिली।
अब ना छुअम-छुआई के फुर्ती रहल।
दिलवा टूटल, बदन में थाकान हो गईल।
एक दिन अउरू उमर के जिआन हो गइल।।
साँचि पूछीं त एक दिन बडा दुख भईल।
फेसबुकवा पे बचपन के यार मिल गईल।
सगरी बचपन के बतिया भुला गउवे तब।
जब देखुवी की उ त जवान हो गईल।
एक दिन अउरू उमर के जिआन हो गइल।।
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