कहा हो तुम एक अजनबी की तरह
कि जिंदगी भी नहीं जिंदगी की तरह
कि जिंदगी भी नहीं जिंदगी की तरह
है उम्मीद मोहब्बत और वफ़ा की तुमसे
कि तुम मिले मुझसे हर ख़ुशी की तरह
कि तुम मिले मुझसे हर ख़ुशी की तरह
एक खुशनुमा अहसास है तुमसे
तुम हो जो मेरी शायरी की तरह
तुम हो जो मेरी शायरी की तरह
कुछ लिखते है आओ अब हम तुम पर
कि मुस्कुराओ तुम एक ग़ज़ल की तरह
कि मुस्कुराओ तुम एक ग़ज़ल की तरह
बात तुमसे करू तो लोग क्या समझे
समझ ले तो कहे दिल्लगी की तरह
समझ ले तो कहे दिल्लगी की तरह
कई अफ़साने है तुझसे मेरे हसररत की
कि जो पुरे हो जाए फिर मुक़म्मल की तरह
कि जो पुरे हो जाए फिर मुक़म्मल की तरह
प्रस्तुति- लव तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें