हैरत हुई गा़लिब #मस्जिद मे देखकर
ऐसा भी क्या हुआ कि खुदा याद आ गया
ग़ालिब साहब के शायरी में जो जिक्र है की कभी ख़ुशी में हम भगवान या खुदा को याद नहीं करते, #दुःख, #विपत्ति ,#निराशा या कोई बड़ी उपलब्धि को पाने की बात में अक्सर ख़ुदा या भगवान का जिक्र किया जाता है , उसी तरह के हालात सभी #राजनैतिक दलो की है, उन्हें भी हम वोट के समय चुनाव के समय किसी #ख़ुदा या भगवान से कम नजर नही आते, और बाद की हाल तो आप सभी मित्रो को पता ही है , वैसे ख़ुदा या भगवन की बात करे तो अगर हम सच्चे दिल से पूजा अर्चना या फिर इबादत करते है तो हमारी मनोकामना और मुराद पूरी होती नजर आती है , लेकिन इसका पूर्ण रूप से विपरीत राजनैतिक दलों के साथ है वो आप की मुराद या मनोकामना की पूर्ति या झांसा वोट देने के कुछ समय तक ही करते है, हा कुछ खास व्यक्ति और सगे सम्बन्धी की मुरादे जरूर पूरी की जाती है,
कुछ वर्ष पहले समाज का कुछ ही वर्ग शिक्षित था और सारे निर्णय समाज के एक विशेष व्यक्ति द्वारा किया जाता था जिसका परिणाम धीरे धीरे दुष्प्रभावी और निर्थक ही निकाला, पिछले कुछ दिनों में मेरा राजनितिक अनुमान है कि भारत देश में 50 % से ऊपर या उससे जादा की राजनीती जातिवाद एवं सम्प्रदायवाद के आधार पर लड़ी जाती है, जिसका दुष्परिणाम हमारे और आप के बिच में ही है, इस तरह के राजनैतिक विचार धरा को बदल के ही एक सही समाज का निर्माण संभव है
जय हिन्द जय भारत
प्रस्तुति लव तिवारी
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