बुधवार, 1 जून 2016

बचपन की कुछ यादों के साथ -कोई लौटा दे वो मेरे बीते हुए दिन- लव तिवारी

आज वक्त के इस आइने में हमारे बीते हुए कल 90 दशक की तस्वीर चाहे कितनी ही पुरानी हो गई हो पर जब भी सामने आती है ढेर सारी यादे ताज़ा हो जाती हैं, और यदि यादे अगर बचपन की हो तो अलग ही मज़ा आता है, इन तस्वीरों में बड़े भाइयो के साथ की कुछ तस्वीर है अभी भी मुलाकात होती है हम सब में लेकिन उम्र के साथ मिलने और जीने के लहजे बदल गए फिर जिंदगी की भाग दौर में रोटी दाल की फ़िक्र भी तो है , कुछ बचपन की लाइन जैसे-“अक्कड़-बक्कड़  बम्बे बो अस्सी नब्बे पूरे सौ, सौ में लगा धागा, चोर निकल के भागा” 2 मामा मामी के दुकान मामा ले आये बदाम मामी तोड़ तोड़ के खायी मामा खड़े ललचा , ये तस्वीर  भी ननिहाल की है अक्सर मामा जी को चिड़ाने वाले क्रियाकलाप भी किये जाते थे ,कितनी बार अपने सपनों का घर बनाते तो कभी गुड्डे– गुडियों की शादी कराते, कभी लडकियों की चोटी खीचकर उन्हें परेशान करते, तो उस पर पापा की वो डांटे और वो गलती पर मम्मी को मनाना, कभी बारिश में कागज़ की नाव,तो कभी राह चलते पानी में बेमतलब पैर छप-छपाना, जब याद करते है उन पालो को तो किशोर कुमार का वो गीत याद आता है- “कोई लौटा दे वो मेरे बीते हुए दिन"  सच कहूँ तो मुश्किल ही लगता है उन दिनों का लौट पाना,
प्रस्तुति - लव तिवारी

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