गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

Apani Tanhai Ki Tasvir Banakar Rakhu- अपनी तन्हाई की तस्वीर बनाकर रखूं

  अपनी तन्हाई की तस्वीर बनाकर रखूं
   आईने को अपने रूबरू बिठाकर रखूं...

   इन दीवारों से बनी कैद में जी लेती हूं
इस तरह खुद को मैं दुनिया से बचाकर रखूं...

 चांद सितारों से भरे उस आस्मा की तरह
 अपने सीने में कई आग मैं जलाकर रखूं...

    रोक लेती हूं दरिया को जब भी चाहूं
अपनी आंखों में इसे झील मैं बनाकर रखूं...

कहना चाहूँ भी तो ना कहे पाऊं बात दिल की
न चाहते हुए भी अपने दोस्तों से छुपाकर रखूं...

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