बुधवार, 11 मार्च 2015

Sur Badale Tevar Badale Sab -सुर बदले,तेवर बदले,सब

सुर बदले,तेवर बदले,सब शंखनाद क्यों बंद हुए, छप्पन इंची सीने वाले भाषण भी क्यों मंद हुए, केसर की क्यारी में तुमने कमल खिलाया अच्छा है, और नमाज़ी कस्बों में भगवा लहराया अच्छा है, लोकतंत्र की दिए दुहाई,सत्ता सुख में झूल गए, आखिर श्याम प्रसाद मुखर्जी की कुर्बानी भूल गए, भारत माँ फिर से घायल है,अपने ही अरमानो से, सिंहों का अनुबंध हुआ है,गीदड़ की संतानों से, आँखे टेढ़ी किये हुए है,संविधान के खाते पर, देखों मुफ़्ती थूक रहा है लाल किले के माथे पर, अफज़ल के अवशेष मांगने वाले जिद पे अड़े हुए, कुछ तो बिरियानी की प्लेटें ले बॉर्डर पर खड़े हुए, दिल्ली वालों की ज़ुबान भी लाचारी में अटकी है, वीर सैनिकों की कुर्बानी लालचौक पर लटकी है, माँ के सर का पल्लू,वहशी हाथों ने फिर थामा है, लगता है अखंड भारत का भाषण केवल ड्रामा है, पूछ रहा हूँ मोदी जी से,पूछूं भाग्य विधाता से, क्या सत्ता की चाह बड़ी है प्यारी भारत माता से, अगर तिरंगा गद्दारों के चरणों में गिर जाएगा, सवा अरब की उम्मीदों पर पानी ही फिर जायेगा, भरत वंशियों उठो,शत्रु के लोहू का जलपान करो, भारत माँ पर एक नहीं,सौ सरकारे कुर्बान करो, वर्ना दर्द यही निकलेगा,गंगा की फरियादों से, राम के बेटे हार गए हैं जिन्ना की औलादों से,

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