गुरुवार, 7 नवंबर 2013

इसी शहर में मेरी एक, दीवानी रहती थी किस्सों के मोहल्ले में एक कहानी रहती थी

इसी शहर में मेरी एक, दीवानी रहती थी 
किस्सों के मोहल्ले में एक कहानी रहती थी

हर पल दिल खोलकर जीती थी वो मगर
अन्दर उसके इक लड़की सयानी रहती थी

घर तो खूब बनाए दिल के हमने मोहब्बत में
बस इक नगरी दिलों की, वहां बसानी रहती थी

बहुत टकराए हैं हम लहरों से, ज़ालिम इश्क में 
हमारी इश्क की गलियों में, हवा तूफानी रहती थी

मैं खुली किताब हूँ, मुझे मेरी ग़ज़लों में पढ़ लेना
मसला और है की इक मोहब्बत, बतानी रहती थी 

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