बुधवार, 27 नवंबर 2013

आज शमशान में बच्चों का जमघट है बहुत शायद किसी विद्या-भवन में फिर खाना बँटा

आज शमशान में बच्चों का जमघट है बहुत......!
शायद किसी विद्या-भवन में फिर खाना बँटा है....!!

आंखैं खुली तो जाग उठी हसरतें,
उसको भी खो दिया जिसे पाया था ख्वाब मैं।

डरता हूँ कहने से कि पसंद हो तुम मुझको,
मेरी ज़िन्दगी बदल देगा तेरा इंकार भी और इकरार भी.

अकसर तन ढकने के खातिर, तन बिकने लगता है।
कोई पेट पालने निकले, तो कोई पेट में पलने लगता है

जिंदगी मोहताज नहीं मंजिलों की,
वक्त हर मंजिल दिखा देती है!
कोई मरता नहीं किसी से जुदा होकर
वक्त हर किसी को जीना सीखा देती है!!

अब तुम्हें रोज़ ना सोचूं तो बदन टूटता है "फ़राज़"
एक उम्र हो गयी है तुम्हारी याद का नशा करते-करते



गुरुवार, 7 नवंबर 2013

इसी शहर में मेरी एक, दीवानी रहती थी किस्सों के मोहल्ले में एक कहानी रहती थी

इसी शहर में मेरी एक, दीवानी रहती थी 
किस्सों के मोहल्ले में एक कहानी रहती थी

हर पल दिल खोलकर जीती थी वो मगर
अन्दर उसके इक लड़की सयानी रहती थी

घर तो खूब बनाए दिल के हमने मोहब्बत में
बस इक नगरी दिलों की, वहां बसानी रहती थी

बहुत टकराए हैं हम लहरों से, ज़ालिम इश्क में 
हमारी इश्क की गलियों में, हवा तूफानी रहती थी

मैं खुली किताब हूँ, मुझे मेरी ग़ज़लों में पढ़ लेना
मसला और है की इक मोहब्बत, बतानी रहती थी