आज शमशान में बच्चों का जमघट है बहुत......!
शायद किसी विद्या-भवन में फिर खाना बँटा है....!!
आंखैं खुली तो जाग उठी हसरतें,
उसको भी खो दिया जिसे पाया था ख्वाब मैं।
डरता हूँ कहने से कि पसंद हो तुम मुझको,
मेरी ज़िन्दगी बदल देगा तेरा इंकार भी और इकरार भी.
अकसर तन ढकने के खातिर, तन बिकने लगता है।
कोई पेट पालने निकले, तो कोई पेट में पलने लगता है
जिंदगी मोहताज नहीं मंजिलों की,
वक्त हर मंजिल दिखा देती है!
कोई मरता नहीं किसी से जुदा होकर
वक्त हर किसी को जीना सीखा देती है!!
अब तुम्हें रोज़ ना सोचूं तो बदन टूटता है "फ़राज़"
एक उम्र हो गयी है तुम्हारी याद का नशा करते-करते