मुकद्दर आजमाना चाहते हैं
तुम्हें अपना बनाना चाहते हैं
तुम्हारे वास्ते क्या सोचते हैं
निगाहों से बताना चाहते हैं
गलत क्या है, जो हम दिल मांग बैठे
परिंदे भी ठिकाना चाहते हैं
परिस्थितियां ही अक्सर रोकती हैं
मुहब्बत सब निभाना चाहते हैं
बहुत दिन से हैं इन आँखों में आंसू
तुषार अब मुस्कुराना चाहते हैं .........!!
तुम्हें अपना बनाना चाहते हैं
तुम्हारे वास्ते क्या सोचते हैं
निगाहों से बताना चाहते हैं
गलत क्या है, जो हम दिल मांग बैठे
परिंदे भी ठिकाना चाहते हैं
परिस्थितियां ही अक्सर रोकती हैं
मुहब्बत सब निभाना चाहते हैं
बहुत दिन से हैं इन आँखों में आंसू
तुषार अब मुस्कुराना चाहते हैं .........!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें