मंगलवार, 1 नवंबर 2011

धर्म क्या है ?( हिन्दू एक सभ्यता है , जिसने विभिन्न धर्मों का श्रृजन तथा पालन पोषण किया है )

धर्म क्या है ?
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लोग मानते हैं कि मेरा धर्म हिन्दू है, वो इस्लाम धर्म को मानता है,
उसने इसी धर्म आपनाया है, वो सिख है ,
वो जैन, बौद्ध और न जाने कितने धर्म होंगे पूरी दुनिया में !
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धर्म क्या है?
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अगर उपरोक्त सभी धर्म है तो .....
इस्लाम के प्रवर्तक - मुहम्मद साहब
इसाई के प्रवर्तक - प्रभु यीशु
बौद्ध धर्म - महात्मा बुद्ध
जैन धर्म - महावीर स्वामी
सिख धर्म - गुरु नानक देव
हिन्दू धर्म - ??????????
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यही पर बात अटकती है , अगर हिन्दू भी धर्म होता तो उसका भी कोई न कोई प्रवर्तक होना चाहिए था न......
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प्रश्न अभी भी मेरे मन में वही है-----
धर्म क्या है???????
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अगर पहले कहे हुए सभी धर्म हैं तो .
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इस्लाम - क़ुरान
इसाई - बाइबल
बुद्ध - उपदेश भगवान् बुद्ध के
जैन - ..... किताब
सिख - गुरु ग्रन्थ साहिब
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हिन्दू - { गीता, वेद, उपनिषद , रामचरितमानस और हज़ारों पुस्तकें ...}

यहाँ भी हिन्दू किसी भी धर्म से अलग प्रतीत होता है !
अगर यह एक धर्म मात्र है तो इसकी भी कोई एक पुस्तक होनी चाहिए थी !
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प्रश्न अभी भी मेरे मन में वही है---
आखिर धर्मं क्या है????
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अगर पहलेवाले सभी धर्मं हैं तो
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इस्लाम - अल्लाह को नमाज़ अदा करता है
इसाई - प्रभु यीशु को प्रे करता है
बौद्ध - भगवान् बुद्ध को
जैन - महावीर स्वामी को
सिख - गुरु .... को
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हिन्दू - शिव , विष्णु , ब्रम्हा , गणेश, राम, कृष्ण , ...... हजारों हैं ....
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अगर हिन्दू सिर्फ धर्म है तो ये बाकि धर्मों से अलग क्यों हैं.......
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प्रश्न मेरा अभी भी वही है--
आखिर धर्म क्या है?
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अगर पहलेवाले सभी धर्म हैं तो
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इस्लाम - धर्म परिवर्तन को मानता है
इसाई - धर्म परिवर्तन को मानता है
बौद्ध - धर्म परिवर्तन को मानता है
जैन - धर्म परिवर्तन को मानता है
सिख - धर्म परिवर्तन को मानता है
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हिन्दू - इतिहास गवाह है की हिन्दू में कही भी धर्म परिवर्तन को नै कहा गया है ,
क्योंकि लोग जन्म से हिन्दू होते हैं और मरते दम तक हिन्दू ही रहते हैं
या यूँ कहें लोग मरने के बाद भी हिन्दू ही रहते हैं!
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प्रश्न अभी भी मेरे मन में वाही है--
धर्मं क्या है?
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अगर उपरोक्त सभी धरम है तो हिन्दू कोई धर्म मात्र नै है !
हिन्दू एक सभ्यता है , जिसने हजारों सालों से विभिन्न धर्मों का श्रृजन तथा पालन पोषण किया है और श्रृष्टि के अंत तक करता रहेगा !
कुछ लोग आपने राजनीतिक फायदे के लिए वर्षों से धर्मों को बदनाम करते आ रहे हैं , लड़ाते आ रहे हैं दो धर्मो को !
इन बातों का कोई औचित्य ही नै बनता है !
मेरे हिसाब से धर्म वो है जिसके कारन अशोक ने अपने भाइयों को काट डाला था !
धर्म वो है जिसके कारण अकबर ने आपने ही भाइयों के खून की नदियाँ बहाई थी !
इनलोगों का एक ही धर्म था - राष्ट्रधर्म !!
अंततः
धर्म के नाम पर लड़नेवालों से मेरा अनुरोध है की वो सिर्फ एक धर्म का पालन करें - राष्ट्रधर्म !
बाकि सभी धर्म मंदिर में, मस्जिद में , चर्च में, ही अच्छे लगते हैं ! जीवन में इनपर लड़ना व्यर्थ है


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जो लोग मेरी बात से सहमत हैं कृपया आपने सुझाव अवश्य दें !!!
जय हिंद !
जाही भारत !!
वन्दे मातरम !!

मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011

कभी नज़रें मिलाने में लम्हे बीत जाते है , कभी नज़रें चुराने में जमानें बीत जाते हैं |


कभी नज़रें मिलाने में लम्हे बीत जाते है ,
कभी नज़रें चुराने में जमानें बीत जाते हैं |

किसी ने आँख भी खोली तो सोने की नगरी में ,
किसी को घर बनाने में जमाने बीत जाते हैं |

कभी काली गहरी रात हमें एक पल की लगती है,
कभी एक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं |

कभी खोला दरवाजा खड़ी थी सामने मंजिल ,
कभी मंजिल पाने में जमाने बीत जाते हैं |

एक पल में टूट जाते हैं उम्र भर के "वो रिश्ते ",
"वो रिश्ते " जो बनाने में ज़माने बीत जाते हैं |

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Lav Tiwari
lvtiwari551@gmail.com
lavkrtiwari@gmail.com
Ph: 09458668566